Add To collaction

ज़िन्दगी गुलज़ार है

२५ दिसंबर – कशफ़

आज अकादमी में मेरा पहला दिन था और अजीब किस्म की आज़ादी का एहसास हो रहा है. मुझे यूं लग रहा है, जैसे मैं दुनिया में आज ही आई हूँ. ज़िल्लत की ज़िन्दगी, ज़िन्दगी कहाँ होती है? अब ज़िन्दगी मेरे लिए कांटों का बिस्तर नहीं रही, मैं जानती हूँ कि अब भी मुझ पर बहुत सी जिम्मेदारियाँ हैं, मगर अब मैं उन्हें उठा सकती हूँ. आगे जाने के रास्ते अब मुझे साफ़ नज़र आने लगे हैं.

एक नज़र अपने माज़ी (अतीत) पर डालूं, तो वो बदसूरत और भयानक नज़र आता है और मैं किसी तौर पर इसे फ़रामोश (भुला हुआ) नहीं कर सकती. इन दो सालों में मैंने जितनी मेहनत की है, वो मैं कभी नहीं भूल सकती. स्कूल में पढ़ाने के बाद ट्यूशन करना, फिर सारी-सारी रात बैठकर खुद पढ़ना. मुझे लगता था, जैसे मैं एक मशीन हूँ, मगर मुझे ये सब करना ही था. अगर ना करती, तो अपनी किताबों का अखरज़ात (खर्च) कहाँ से पूरी करती.

मुझे ख़ुशी है कि मेरी मेहनत ज़ाया नहीं हुई, वरना पता नहीं मैं क्या करती और आज जब मैं यहाँ हूँ, तो लगता है ज़मीन पर नहीं, आसमान पर हूँ और अभी मुझे बहुत मेहनत करनी है. मैं चाहती हूँ कि मैं डिस्टिंक्शन के साथ अकादमी से पासआउट हूँ. ये काम मुश्किल सही, पर इतना नामुमकिन नहीं है और मुझे ये भी करना ही है. आज मैं बस सोना चाहती हूँ, क्योंकि कल से मेरे पास फ़ुर्सत के लम्हात फिर से गायब हो रहे हैं.

कभी-कभी अच्छा लगता है, कुछ ना कहना, कुछ ना बोलना, कुछ ना लिखना, बस सोचना सिर्फ़ महसूस करना और आज भी अपनी कैफ़ियत को महसूस करना चाहती हूँ. भला कैसा लगता है, अपने अहसास को महसूस करना, आज मैं देखूंगी, माज़ी को याद करूंगी, हर अच्छी बुरी याद को सामने लाऊंगी और मैं जानती हूँ कि ज़िन्दगी में पहली बार उनमें से कोई चीज़ भी मुझे उदास नहीं करेगी, क्योंकि आज मैं बहुत ख़ुश हूँ, बहुत ज्यादा. मेरा दिल चाहता है मैं इस पूरे सफ़े (पन्ने) पर ख़ुशी का लफ्ज़ बहुत बड़ा सा लिख दूं और फिर उस पर दोनों हाथ रख कर आँखें बंद कर लूं, फिर ख़ुद से पूछूं क्या मैं ख़ुश हूँ

   8
2 Comments

Radhika

09-Mar-2023 04:27 PM

Nice

Reply

Alka jain

09-Mar-2023 04:14 PM

शानदार

Reply